BA Semester-2 Psychology - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

यूनिट - VII

अध्याय - 7 :
बुद्धि मापन

(Intelligence Testing)

प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
बुद्धि को परिभाषित करते हुए, उसके अर्थ, स्वरूप एवं प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु 'उत्तरीय प्रश्न
1. बुद्धि संप्रत्यय के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
2. बुद्धि के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
3. बुद्धि की परिभाषा लिखिए।

उत्तर -

बुद्धि एक ऐसा सामान्य शब्द है जिसका प्रयोग हम अपने दिन-प्रतिदिन की बोलचाल भाषा में काफी करते हैं। तेजी से सीखने तथा समझने, अच्छे स्मरण तथा तार्किक चिन्तन आदि गुणों के लिये हम दिन-प्रतिदिन की भाषा में 'बुद्धि' शब्द का प्रयोग करते हैं।

मनोवैज्ञानिकों में 'बुद्धि' शब्द का प्रयोग इस सामान्य अर्थ से हटकर विशेष अर्थ में होता है। बुद्धि को मापने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने कई परीक्षणों (tests) का निर्माण किया है जिनके द्वारा बुद्धि मापने का कार्य किया जाता है। अनेकों मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को भिन्न-भिन्न ढंग से परिभाषित करने की कोशिश की है। इन सभी परिभाषाओं को मूलतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है -

(i) पहले श्रेणी में उन परिभाषाओं को रखा जा सकता है। जिसमें बुद्धि को वातावरण के साथ समायोजन (adjustment) करने की क्षमता के आधार पर परिभाषित किया गया है।

(ii) दूसरी श्रेणी में उन परिभाषाओं को रखा जा सकता है जिसमें बुद्धि को सीखने की क्षमता (ability to learn) के आधार पर परिभाषित किया गया है।

(iii) तीसरी श्रेणी में उन परिभाषाओं को रखा जा सकता है जिसमें बुद्धि को अमूर्त चिन्तन (abstract reasoning) की क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है।

परन्तु बाद में अधिकतर मनोवैज्ञानिकों द्वारा यह अनुभव किया गया कि इन तीनों श्रेणियों की परिभाषाओं का एक सामान्य दोष (common defect) है, कि प्रत्येक श्रेणी की परिभाषाओं में बुद्धि के मात्र एक पहलू या पक्ष को आधार माना गया है। जबकि बुद्धि में सिर्फ एक ही तरह की क्षमता (या पहलू) सम्मिलित नहीं होती है बल्कि इसमें अनेक तरह की क्षमताएँ जिन्हें सामान्य क्षमता (general ability) कहा जाता है, सम्मिलित होता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कुछ मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को दूसरे ढंग से परिभाषित किया है। जिनमें से कुछ मुख्य निम्न हैं-

"बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है, विवेकशील चिन्तन करता है तथा वातावरण के साथ प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है।" - वेक्सलर 1939

"Intelligence is the aggregate or global capacity of the individual to act purposefully to think rationally and to deal effectively with his environment." - Wechsler. Measurement of Adult Intelligence. 1939"

" बुद्धि से तात्पर्य संज्ञानात्मक व्यवहारों (cognitive behaviours) के सम्पूर्ण वेग से होता है जो व्यक्ति में सूझ द्वारा समस्या समाधान करने की क्षमता नयी परिस्थितियों के साथ समायोजन करने की क्षमता, अमूर्त रूप से सोचने की क्षमता तथा अनुभवों से लाभ उठाने की क्षमता को दिखलाता है।" - रॉबिन्सन तथा रॉबिन्सन 1965"

"Intelligence refers to the whole class of cognitive behaviours which reflect an individual's capacity to solve problems with insight, to adopt himself to new situations, to think abstractly and to profit from his experiences." - Robinson and Robinson 1965"

"बुद्धि उन क्रियाओं को समझने की क्षमता है जिनकी विशेषताएँ

(1) कठिनता,
(2) जटिलता,
(3) अमूर्तता,
(4) मितव्ययिता ( adaptiveness),
(5) किसी लक्ष्य के प्रति अनुकूलनशीलता,
(6) सामाजिक मान,
(7) मौलिकता की उत्पत्ति होती है और कुछ परिस्थिति में वैसी क्रियाओं को जो शक्ति की एकाग्रता तथा सांवेगिक कारकों के प्रति प्रतिरोध (resistance) दिखलाता है, करने की प्रेरणा देती है । " स्टोडार्ड 1941

"Intelligence is the ability to understand activities that are characterized by

(1) difficulty
(2) complexity
(3) abstractness
(4) economy
(5) adaptiveness to goal
(6) social value
(7) the emergence of originals and to maintain such activities under conditions that demand a concentration of energy and a resistance to emotional factors." - Stoddard 1941

इन सभी परिभाषाओं की एक सामान्य विशेषता यह है कि इन परिभाषाओं में बुद्धि को कई तरह की क्षमताओं का योग माना गया है यही कारण है कि ऐसी परिभाषाएँ काफी प्रचलित तथा लोकप्रिय (Popular) है। इन परिभाषाओं का एक सामान्य विश्लेषण करने पर हम निम्नांकित तथ्य पर पहुँचते हैं -

(i) बुद्धि विभिन्न क्षमताओं का संपूर्ण योग (aggregate) होता है। इसका मतलब यह हुआ कि बुद्धि में किसी एक प्रकार की क्षमता नहीं होती है। इसमें कई प्रकार की क्षमताएँ होती हैं। इन क्षमताओं का पूर्ण योग ही बुद्धि कहलाता है।

(ii) बुद्धि के सहारे व्यक्ति किसी समस्या के समाधान में सूझ (insight) का सहारा लेता है। इतना ही नहीं, किसी समस्या के समाधान में गत अनुभूतियों का लाभ वह इसी बुद्धि के कारण उठा पाता है।

(iii) बुद्धि के सहारे व्यक्ति उद्देश्य क्रियाएँ (purposeful act) करता है जो व्यक्ति जितना ही अधिक उद्देश्यपूर्ण एवं सार्थक क्रियाएँ करता है, उसे उतना ही अधिक बुद्धिमान माना जाता है निरर्थक तथा उद्देश्यहीन क्रियाएँ करने वाले व्यक्ति को कम बुद्धि का समझा जाता है। अतः बुद्धि का स्वरूप कुछ ऐसा होता है कि इसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रियाएँ करता है।

(iv) बुद्धि व्यक्ति को वातावरण के साथ प्रभावशाली ढंग से समायोजन (adjustment) या अनुकूलन (adaptation) करने में मदद करता है। अधिक बुद्धि वाले व्यक्ति अपने आप को किसी भी वातावरण में ठीक ढंग से समायोजित कर लेते हैं। इन व्यक्तियों के समायोजन की क्षमता को देखकर अन्य लोग भी काफी प्रभावित होते हैं। कम बुद्धि वाले व्यक्ति में इस तरह के समायोजन की क्षमता काफी कम होती है और व्यक्ति में वातावरण से संबंधित समायोजन की कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है।

(v) बुद्धि से व्यक्ति में विवेकशील चिन्तन (rational thinking) तथा अमूर्त चिन्तन करने में भी मदद मिलती है। इसका मतलब यह हुआ कि जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है, उसके सोचने एवं चिन्तन करने का तरीका विवेकपूर्ण, तर्कपूर्ण एवं युक्ति संगत होता है। ऐसे व्यक्ति में अमूर्त चिन्तन करने की क्षमता भी कम होती है। ऐसे व्यक्तियों में चिन्तन करने तथा कार्य करने में असंगति ( inconsistency) अधिक पायी जाती है।

(vi) बुद्धिमान व्यक्ति प्रायः कठिन एवं जटिल कार्य को समझकर करते हैं। इनके कार्यों में मौलिकता अधिक होती है।

उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है कि बुद्धि का स्वरूप (nature) कुछ ऐसा होता है जिसे किसी एक कारक (factor) या क्षमता के आधार पर नहीं समझा जा सकता है इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार की क्षमताएँ होती हैं। थर्स्टन (Thurstone, 1938) ने अपने अध्ययन के आधार पर बतलाया कि बुद्धि में कुल 7 ऐसी क्षमताएँ (abilities) होती हैं जिन्हें प्रधान मानसिक क्षमताएँ (Primary mental abilities) कहा जाता है। गिलफोर्ड (Guilford 1967) ने हाल ही में बतलाया है कि बुद्धि में कुल 150 ऐसी क्षमताएँ (abilities) होती हैं।

वर्नन (P.E. Vernon, 1969) ने बुद्धि संप्रत्यय के तीन अर्थ बतलाये हैं जो लोकप्रिय होने के साथ ही साथ आकर्षक भी दिखता है। उनके द्वारा बतलाये गये बुद्धि के तीन अर्थ इस प्रकार है -

(i) जननिक क्षमता के रूप में बुद्धि (Intelligence as Genetic Capacity) : इस अर्थ में बुद्धि पूर्णतः वंशागत ( inherited) होता है। हेब्ब (Hebb, 1978) के अनुसार बुद्धि व्यक्ति का एक आनुवांशिक गुण है।

(ii) प्रेक्षित व्यवहार के रूप में बुद्धि (Intelligence as on Observed Behaviour) : इस अर्थ में बुद्धि व्यक्ति के जीन्स एवं वातावरण की अन्तर्क्रिया (interaction) का परिणाम होता है तथा जिस सीमा तक व्यक्ति बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से व्यवहार करता है उस सीमा तक उसे बुद्धिमान समझा जाता है। बुद्धि का अर्थ फेनोटाइपिक (Phenotypic) प्रारूप का है। इसे हेब्ब (Hebb) ने बुद्धि 'बी' (intelligence B) कहा है।

(iii) परीक्षण प्राप्तांक के रूप में बुद्धि (Intelligence as a test score) : इस अर्थ में बुद्धि की एक क्रियात्मक परिभाषा (Operational definition) दी गयी है। इस अर्थ में बुद्धि वही है जो बुद्धि परीक्षण मापता है। इसे हेब्ब ने बुद्धि 'सी' (Intelligence 'C') की संज्ञा दी है।

बुद्धि के प्रकार
(Types of Intelligence)

ई. एल. थॉर्नडाइक (E.L. Thorndike) ने बुद्धि के तीन प्रकार बतलाये हैं जो इस प्रकार हैं-

1. सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) - सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य वैसी सामान्य मानसिक क्षमता से होता है जिसके सहारे व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को ठीक ढंग से समझता है तथा व्यवहार कुशलता दिखलाता है। ऐसे लोगों का सामाजिक संबंध (social relationship) काफी अच्छा होता है तथा समाज में इनकी प्रतिष्ठा काफी होती है। इनमें सामाजिक कौशल (social skill) काफी होती है। यही कारण है कि ऐसे व्यक्ति एक अच्छे नेता बन जाते हैं।

2. अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence) - अमूर्त चिन्तन से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता से होता है जिसके सहारे व्यक्ति शाब्दिक (verbal) तथा गणितीय संकेतों एवं चिन्हों के संबंधों को आसानी से समझ जाता है तथा उसकी उचित व्याख्या कर पाता है। ऐसे व्यक्ति जिसमें अमूर्त बुद्धि अधिक होती है, एक सफल कलाकार (artist), पेन्टर (Painter) तथा गणितज्ञ आदि होता है।

3. मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence) - मूर्त बुद्धि से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता से होता है जिसके सहारे व्यक्ति ठोस वस्तुओं के महत्व को समझता है तथा उसका ठीक ढंग से भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में परिचालन करना सीखता है। इस तरह की बुद्धि की जरूरत व्यापार एवं भिन्न-भिन्न तरह के व्यवसायों में अधिकतर पड़ती है। ऐसे बुद्धि वाले व्यक्ति एक सफल व्यापारी ( businessman) बन सकते हैं।

अतः कह सकते हैं कि बुद्धि के मुख्य तीन प्रकार हैं। इन प्रकारों (types) के बीच कोई स्पष्ट रेखा नहीं है। ऐसा नहीं है कि जिसमें सामाजिक बुद्धि अधिक होगी, उसमें मूर्त बुद्धि तथा अमूर्त बुद्धि कम होगी और मूर्त बुद्धि अधिक होगी तो अमूर्त बुद्धि तथा सामाजिक बुद्धि कम होगी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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